रविवार, 17 मई 2015

सलमान -- इतने छेद करूँगा कि ....

मेरे पास , बंगला है , गाड़ी है , बैंक बैलेंस है ,
भाई है , बहन है , बाप है , माँ है
तुम्हारे पास क्या है ?
मेरे पास ..
हा हा हा ....हा हा हा ...
भूख है , प्यास है ,
हताशा है , संत्रास है
दो ठो चिथड़ा है , एक ठो चाटी है ,
चार हाथ की एक पुरानी लाठी है ,
दो ठो छेदही थाली है ,
बतीस साल बूढ़ी घरवाली है ,
एक टूटहा लोटा है ,
रोजगार का परमानेंट टोटा है ,
छः या सात ...
हाँ ! टोटल सात औलादें है ,
ऊपर वाले के अकाउन्ट में
कुल जमा सताईस फरियादें है ,..
आधार कार्ड है , जनधन योजना है
हंड्रेड स्मार्ट सिटीज़ के बारे में , लेटेस्ट सूचना है
और बताऊं ......
बताऊं ..... मेरे पास क्या है
मेरे पास , टीबी है , कालरा है और डायरिया भी है ,
देस में आधा मरी हुई , एक जिन्दा ईया भी है ,
एक मोटा फांसी का फंदा है ,
आत्महत्या का अपना पुश्तैनी एवजी धंधा है ......
हा हा हां और बताऊं ....
बंगला नही है पर फुटपाथ , अलबता है ,
एक काला , एक चितकबरा , एक भूरा कुत्ता है ,
काला वाला साला .....रोज रात साथ ही सोता है ...
और हमारे साथ साथ .. देर रात में , जोर से जोर से रोता है ...
कहते है , कुत्ते का रोना अच्छा नही होता है ....
कुत्ता उस रात भी रो रहा था ..
ये तो अच्छा हुआ कि
मैं सो रहा था .....
और मेरे पास ....हा हा हा ....
सलमान की एक रंगीन फोटो है ...
वही सलमान , जो दबंग है ...
जिसके पास स्ट्राँग कमिटमेंट है ....
इतना कि ...जो एक बार कर दे तो अपनी भी नही सुनता ...
वो ही सलमान खान ......जो ..
इतने छेद करना जानता है ...कि ...

बुधवार, 24 जुलाई 2013

१३ /७/१३

मेरे सलाम पे वो  नमस्कार बोले है
मिलें बैठे कभी तो यार यार बोले है

तहजीबओतमद्दुन की चाशनी में घोलकर
बड़े ख़ुलूस से वो दिल के गुबार बोले है

शबेविसाल मुझपे बड़ी खामोश गुज़री है
शबे फ़िराक में फिर इन्तेज़ार बोले है

ये उसकी अदा है या सितम की इन्तेहा
जुर्म वो करे औ मुझको खबरदार बोले है

ये जिसने बनाई है हदें हों उसको मुबारक
मुझसे मेरा यार ये बार बार बोले है


ज़रा राह में रुक के दम ले ले मुसाफिर
संग ए मील का मुसाफिर से प्यार बोले है

जरा राह में रुक के दम ले ले मुसाफिर
संगे राह का राही से , प्यार बोले है
किसी भरम में जी रही हूँ क्या 
मैं , अभी जेल में , नहीं हूँ क्या

चित तुम जीते पट मै हारी 
मैं ,किसी खेल में , नहीं हूँ क्या 

लम्हा लम्हा ... तेरे सफर में हूँ 
मैं , अभी रेल में , नही हूँ क्या 

बुझती जाऊं हूँ , जलते जलते 
मैं ,भीगी तेल में , नही हूँ क्या

मुझपे नाहक ही हक जमाता है 
मैं , अभी सेल में , नही हूँ क्या 

साये सी तेरे साथ साथ रहती हूँ 
मै , नकेल में , नही हूँ क्या

सोमवार, 27 मई 2013

उस दिन ....

उस दिन 
जब  , सूखने को होंगी नदियाँ 
उस दिन 
जब , ढहने को होंगे पहाड़ 
उस दिन 
जब  , जंगल होने को होंगे  उजाड़
उस दिन 
जब , धरती के बाँझ होने  की खबर 
आने को होगी  
मैं  फिर आऊंगा , ऐन् उस वक्त  
तुम्हारे पास , 
थोड़ी मिट्टी , थोडा पानी , थोड़ी धूप 
हथेली पर लिए 
बस एक बिरवा ,बचा लेना ... 
मांग कर  उसे ,तुमसे 
फिर से रोप दूंगा , 
मन के आँगन में .....
और थोड़ी दूर जाकर 
बैठ जायेगे 
हम .............तुम 
तुम देखना ....
उस दिन ..... 
फिर महक उठेगा आंगन 
और फ़ै.....ल...... जाएगा  
निस्सीम........ मन 
धरती के इस छोर से उस छोर तक 
उस दिन ......


रूपक ......

मेरी आँखों की पुतलियों का रंग काला है 
मुझे नही मालूम था 
उसने बताया मुझे 

मैंने भी देखा 
उसकी पुतलियाँ भूरी है 
मैंने बताया
उसे भी नहीं मालूम था

आंख की पुतली 
यह रूपक 
इस्तेमाल करने से
अब मैं ,
थोडा डरने लगा हूँ ......

गुरुवार, 16 मई 2013


प्यार 
जो , हो गया 
वो , खो गया 
जो किया ....
रह गया .....

जो , हो जाता है 
खो जाता है 
जो , किया जाता है 
रह जाता हैं 


गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013


क्या होती है  ?
किस जमीन पर 
हौले से पाँव धरती है 
कहाँ से ,
अक्स पाती है 
कहाँ पे
नक्श छोड़ जाती है ....

सद्यः जात का रुदनसंगीत 
ध्यान से
सुनो 
सरगम से बाहर
कोई सुर ,
 चुन सको तो 
चुनो ,
चुनो ...न  
,
बूढ़ी ,टिमटिमाती ,बुझती 
मरणासन्न ,
आँखों में 
जीवन का,सपना
पढ़ सको तो 
पढ़ो ,
पढों.... न 

ठन्डे होते जाते जिस्म मे
गर्म लहू की
कल्पना ....
कर सको तो
करो , 
करो.... न 

शब्दों कीं सलाई से 
इन्द्रधनुष के पार कोई ,
सतरंगी सपना
बुन सको तो 
बुनो ,
बुनो ....न 

धरती और अम्बर के पार 
नया  संसार   
रच सको तो
रचो ,
रचो ...न

आसमानी विस्तार के पार 
कल्पना के पर लिए
ऊंची उड़ान
भर सको तो
भरो,
भरो.... न

रचो ! हे महाकवि ! बिलकुल ,रचो 
नितांत मौलिक रचना 
कुछ अपना ,
सिर्फ अपना 
जो रच सको तो 
रचो ....
रचो ......न !